250 पूर्ण हो चुकी परियोजनाएँ
15 वर्षों का अनुभव
98 % सदस्य संतुष्टि
50 विशेषज्ञ टीम के सदस्य
विद्यार्थियों से
सत्य स्वयं घटित है, नितप्रति घटता है, सत्य हमारे चारों ओर विद्यमान है। सत्य को खोजने कहीं नहीं जाना है, बस उसे देखने के लिए दृष्टि चाहिए, जो आपके पास है। खण्ड-5.093.026 पृष्ठ-446

बोधकथा शोध संस्थान में शोधकार्य हेतु प्रवेश की अर्हता

नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण किसी भी मान्य विश्ववि‌द्यालय में किसी भी विषय में शोधार्थी/शोध उपाधि प्राप्त ( बोधकथा में शोध की प्रामाणिक रुचि वाले शोधार्थियों को वरीयता दी जायेगी)

शोध कार्य की अवधि

बोधकथा केन्द्रित किसी भी विषय में पूर्ण कालिक शोधकर्ता को तीन वर्ष में अधिकतम 90 दिन अर्थात 10 दिन 9 बार बोधकथा शोध संस्थान में रहकर शोधकार्य करने का अवसर एवं बोधकथा में शोध की प्रमाणिक रुचि सम्पन्न शोधकर्ता को एक बैच (10 दिन) के अलावा उनके परफॉर्मेंस के अनुरुप अवसर

25+
वर्षों का अनुभव
500+
पूर्ण हो चुकी परियोजनाएँ
98%
सदस्य संतुष्टि

शर्त/नियमावली

  • बोधकथा शोध संस्थान व्यक्तिगत विनम प्रयास है। अतः यहाँ आने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि आप यहाँ किसी प्रकार की ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं करेंगे जिससे इस संस्थान की मूल भावना आहत हो।
  • मानव शरीर दुर्लभ है। सौभाग्य से आप मनुष्य हुए हैं। अतः इसका सार्थक उपयोग अर्थात् ऐसा कार्य जो इस धरा को और अधिक सुंदर एवं सुव्यवस्थित बना सके आपके जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।
  • यह संस्थान पूर्णरुपेण सात्विक एवं आध्यात्मिक स्थल है। अतः इसके गरिमानुरुप इसे आश्रम व्यवस्था मानकर स्वयं को एक साधक तथा इस अवधि को साधनाकाल समझेंगे।
  • सादा जीवन उच्च विचार की भावना के साथ अपने व्यक्तिगत सभी कार्य स्वयं सम्पादित करेंगे और अपनी दिनचर्या में कठोर अनुशासन का पालन करते हुए प्रतिदिन संध्या वंदन में भाग लेंगे।
  • मानव निर्माण की इस विलुप्त विधा बोधकथा परंपरा के पुनर्जागरण यज में आपकी यह एक सार्थक आहुति हम सभी के लिए उत्सव स्वरुप है।
  • यहाँ रहते हुए आठ दिनों में कुल आठ हजार शब्दों का एक शोध आलेख आप तैयार करेंगे 9वें दिन जिसे एक आधिकारिक विद्वानों की अध्यक्षता में आधे घंटे के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।