बोधकथा

कल कभी नहीं आता

प्रिय विद्यार्थियों, आज इस सत्र का पहला दिन है। मैं आपको उस धर्म-पुरुष, धार्मिक व्यक्तित्व और धार्मिक सोच वाले व्यक्ति की बात बताता हूँ, जिसके मन में बहुत भाव था। वह रोज एक मंदिर में जाया करता था। रोज भगवान को प्रणाम करता, उनके पास देर तक बैठा रहता, मन-ही-मन उनसे ढेर सारी बातें करता, अपनी बातें कहता और उनका उत्तर भी पा जाता था।

धीरे-धीरे उसकी प्रगति होने लगी और अब वह सम्पन्न हो गया था। उसके मन में आया- क्यों न मैं इस धर्म-स्थान के लिए कुछ ऐसा कार्य कर दूँ, जिससे यहाँ मेरे जैसे और भी लोगों के आने में, बैठने में, रुकने में, सुविधा हो सके?

   सो उसने सोचा- यहाँ जो निर्माण कार्य हो रहा है, उसी में मुझे मदद करनी चाहिए।

       उसके पास इतना सामर्थ्य था कि वह उस निर्माण कार्य में मदद कर सकता था। उसने निश्चय किया- ठीक है, कल जब मैं यहाँ आऊँगा तो पर्याप्त धन लेकर आऊँगा और इस मंदिर को दान कर दूँगा, ताकि इसका अधूरा कार्य पूर्ण हो जाए।

       दूसरे दिन जब घर से निकलता है मंदिर के लिए तो उसके दिमाग में बात उतर जाती है। वह आगे बढ़ता जाता है और सोचता जाता है- ठीक है, रोज-रोज मंदिर आना ही है धन कल लेता चलूँगा, कल ही दान कर दूँगा।

       अगले दिन भी जब जाना होता है तो किसी कार्य में वह व्यस्त रहता है और भूल जाता है फिर सोचता है- देखिए न, आज भी भूल गया! ठीक है क्या हो गया, कोई बात नहीं, धन कल ही ले चलूँगा। मंदिर में काम तो  चल ही रहा है। इसके बिना वहाँ काम रुका हुआ तो है नहीं। 

     और वह उस दिन भी धन नहीं ले जा पाता है दान करने के लिए। ऐसे ही कई दिन बीत जाते हैं। रोज किसी-न-किसी परिस्थितिवश, किसी-न-किसी कारणवश वह धन ले जाना भूल जाता है।

       इसी बीच उसके गाँव में बाढ़ आ जाती है और उसकी सारी-की-सारी सम्पत्ति उसमें बह जाती है।

       उसके अन्दर भाव है दान करने का, उसके अन्दर इच्छा है दान करने की, वह चाहता है दान करना लेकिन वह दान नहीं कर पाता है, वह अपने धन का सही उपयोग नहीं कर पाता है। कारण स्पष्ट है कि सबके बाद भी उसके अन्दर एक कमी है। और वह कमी क्या है, बतायेंगे आप? वह समय को महत्व नहीं देता है। आज जिस काम के लिए उसने निश्चय किया है, उस काम को कल पर टाल देता है और उसका कल कभी नहीं आता है।

        प्रिय विद्यार्थियों, आज से आप एक नयी शुरुआत कर रहे हैं, आप भी इस बात का ध्यान रखें कि कोई काम अगर आपनें कल पर टाला तो निश्चित रूप से वह पूर्ण नहीं हो पाएगा। आप लाख चाहेंगें, आप उस कार्य में सफल नहीं हो पाएंगे, जिस कार्य को आपनें कल के लिए टाल दिया है। जो जिस समय का कार्य हो, जो जिस दिन का कार्य हो, अगर उसे उसी समय सम्पन्न करते हैं तो आप निश्चित रूप से सफल होंगे।

       आप प्रयास करेंगे कि रोज की जिम्मेदारी रोज पूरी करें, उसके बाद ही आप विश्राम करें और उसके बाद ही अगले दिन की बात सोचें। अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो निश्चित रूप से आपके पास इतना समय है कि आप बहुत आगे जायेंगे, बहुत आगे जायेंगे।

       आप इस दिशा में लगे हैं, लगे रहेंगे, आप सफल हो रहे हैं, आप सफल होते रहेंगे, आप सफल हों।

                                             धन्यवाद।


खंड एक - Oct, 15 2025